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10 अप्रैल {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रियंका गुप्ता
|अनुवादक=
|संग्रह=
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{{KKCatHaiku}}
<poem>
43
टूटा था तारा
माँग ली दुआ कई
पूरी न हुई ।
44
सर्द हवाएँ
आँगन में यादों के
पत्ते गिराएँ ।
45
संग ले आए
बदलता मौसम
यादें पुरानी ।
46
बाँधे रहना
समाज ने जो दी हैं
सारी बेड़ियाँ ।
47
कसूरवार
बना देगा ज़माना
तोड़ी जो बेड़ी ।
6
सर्द मौसम
यादें लेकर आया
पतझर की ।
48
कैसे भुलाऊँ
किस्से वो अनकहे
दिल में दबे ।
49
लौट आऊँगी
दिल से पुकारना
दिखावा नहीं ।
9
किरचें चुभी
दिल के टूटने की
आवाज़ नहीं ।
50
बेचारा चाँद
तारों से घिरा हुआ
रहे अकेला ।
-0-
</poem>