493 bytes added,
16:32, 20 नवम्बर 2008 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=
}}
<Poem>
जीवन के कुछ ऎसे शेयर थे
बाज़ार में
जो घाटे के थे लेकिन
ख़रीदे मैंने
लाभ के लिए नहीं दौड़ा मैं
मैं कंगाल हुआ और खुश हूँ
मेरे शेयर सबसे कीमती थे
</poem>