गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
माये नी माये मैं इक शिकरा यार बनाया / शिव कुमार बटालवी
26 bytes added
,
04:43, 7 मई 2024
उस ए कि जुल्म कमाया
(मेरी आँखों
के पोपटों
में देर तक रोने की वजह से दर्द होने लगा है। उनमें आँसुओं की बाढ़ आ गई है। सारी रात मैं, बस, यही सोचता रहा कि मैंने ये अत्याचार आख़िर क्यों अपने ऊपर ले लिया)
सुबह सवेरे लै नी वटणा
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,989
edits