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गांधी / ईप्सिता षडंगी / हरेकृष्ण दास
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,
20 मई
गांधी की वह लाठी भी अब
एक चौकन्नी
पहरदार
पहरेदार
है जैसे;
घुटनों तक भी न पहुँचने वाली
अनिल जनविजय
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