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00:18, 19 जून 2024 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=विजयाराजमल्लिका
|अनुवादक=सन्तोष कुमार
|संग्रह=
}}
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<poem>
नीचे एक छत के
दो लोग
साथ लगे बिस्तरों पर
जी रहे श्रापित जीवन
दोनों ही क़ैदी हैं
दो मानव-बम
फूट पड़ने वाले कभी-भी
वो दाईयाँ
जिन्होंने सुला दिए
अपने हसीन सपने
वो शानदार पल
जि्न्होंने एक किया था उन्हें
बिना समझौते के
क़ैदी हैं वे
उस घर के
वे जी रहे असन्तोष में —
एक वुमन हैं और दूसरी
ट्रांस-वुमन !
दुनिया के लिए
वे हैं… एक महिला और एक पुरुष
ओह ये नाउम्मीद दुनिया
तारीफ़ें करती नहीं थकती
कि वे हैं
आदर्श पति-पत्नी !
'''मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : सन्तोष कुमार'''
</poem>
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