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स्नेह-शपथ / भवानीप्रसाद मिश्र
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,
25 जून
मैं तुम पर इसको मढ़ता हूँ
तुम इसे बिखेरो गेह-गेह ।
हैं
है
शपथ तुम्हारे करुणाकर की
है शपथ तुम्हें उस नंगे की
जो भीख स्नेह की माँग-माँग
अनिल जनविजय
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