Changes

मेरे शब्दो ! / सुरजीत पातर

2,005 bytes added, 10:16, 13 जुलाई 2024
'{{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=सुरजीत पातर |संग्रह= }} Category:पंजा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKAnooditRachna
|रचनाकार=सुरजीत पातर
|संग्रह=
}}
[[Category:पंजाबी भाषा]]
<Poem>
मेरे शब्दो !

मेरे शब्दो !
चलो, छुट्टी करो, घर जाओ
शब्दकोशों में लौट जाओ

नारों में
भाषणों में
या बयानों मे मिलकर
जाओ, कर लो लीडरी की नौकरी

गर अभी भी बची है कोई नमी
तो माँओं , बहनों व बेटियों के
क्रन्दनों में मिलकर
उनके नयनों में डूबकर
जाओ ख़ुदक़ुशी कर लो
गर बहुत ही तंग हो
तो और पीछे लौट जाओ
फिर से चीख़ें, चिंघाड़ें ललकारें बनो

वह जो मैंने एक दिन आपसे कहा था
हम लोग हर अँधेरी गली में
दीपकों की पंक्ति की तरह जगेंगे
हम लोग राहियों के सिरों पर
उड़ती शाखा की तरह रहेंगे
लोरियों में जुड़ेंगे

गीत बनकर मेलों की ओर चलेंगे
दियों की फ़ौज बनकर
रात के वक़्त लौटेंगे
तब मुझे क्या पता था
आँसू की धार से
तेज़ तलवार होगी

तब मुझे क्या पता था
कहने वाले
सुनने वाले
इस तरह पथराएँगे
शब्द निरर्थक से हो जाएँगे

पंजाबी से अनुवाद : चमन लाल
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,379
edits