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मेरे शब्दो ! / सुरजीत पातर
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,
13 जुलाई
गर अभी भी बची है कोई नमी
तो माँओं , बहनों व बेटियों के
क्रन्दनों में मिलकर
उनके नयनों में डूबकर
अनिल जनविजय
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