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ग़ैर ने अब तो कर दिया साबित
नाज नाज़ उठाना भी जानता है वो ।
क्यूँ कफ़स से न आशना हो लूँ
आशियाना भी जानता है वो ।
सोज मेरे अश्कों ने झाँक कर देखा मुसकुराना भी जानता है वो । सोज़ तो दिल्लगी में प्यार ख़्वार हुआदिल लगाना भी जानता है वो ।
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