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|रचनाकार=महेश कुमार केशरी
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<poem>
दु:ख पहाड़ सा बड़ा
होता है !
इतिहास की बात है
पहाड़ पर एक आदमी चढ़ रहा था
चलते हुए उसके घुटने फूल गये
पाँव सूज गये..
आदमी को तब लगा कि दु:ख
पहाड जितना बड़ा होता है
लेकिन
जब आदमी पहाड़ पर
चढ़ गया और
उसका नाम पहाड़ पर
चढ़ने वाले पहले व्यक्ति
के तौर पर दर्ज किया
इतिहास ने
तब आदमी को लगा कि
हौसलों के आगे
दु:ख बित्ते भर का था
</poem>
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