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<poem>
निज़ाम बदल जाने से
क्या बदल जाता है उनका मुक़ाम
जो साथ रहते हैं इक ज़माने से

निज़ाम बदल जाने से
क्या बदल जाती है धूप
क्या छोड़ देती है किसी आँगन को

निज़ाम बदल जाने से
क्या बदल जाता है पानी का बहाव
क्या किसी मुहल्ले से चला जाता है दूर

निज़ाम बदल जाने से
क्या बदल जाती है हवा
क्या किसी के साथ चलने से कर देती है इनकार

निज़ाम बदल जाने से
क्या किसी पर कम
किसी पर ज़्यादा झुक आता है आसमान

निज़ाम बदल जाने से
क्या ज़्यादा घूमने लगती है पृथ्वी
किसी के पक्ष में

निज़ाम बदल जाने से
क्या बदल जाते हैं देवता
वे तो सबकी सुबह और शाम के हैं
कहां किसी निज़ाम के हैं

निज़ाम बदल जाने से
नहीं बदल जाते जीने के काम
नहीं बदल जाते किसी के नाम
</poem>
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