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शरणावरुद्ध / गीता त्रिपाठी
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25 अगस्त
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जब खुल्थ्यो साँझको ढोका
यसरी खुल्थे एकैचोटि घरहरू
मान्छेले भने कहिले सुन्ने हो शोकको प्रतिध्वनि!
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Sirjanbindu
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