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शलभ ने त्यागे फिर-फिर प्राण!/ सुरंगमा यादव
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11:06, 30 अगस्त 2024
पल में हँसता जी भर आता
मैं तो तब तक जलता जाऊँ
जब तक आ न जाए विहान ।
शलभ ने त्यागे फिर-फिर प्राण !
दीप को अपना सब कुछ मान।
</poem>
अनिल जनविजय
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