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रहर / हरिभक्त कटुवाल

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बा, पाठशाला जान्नँ म
इतिहास पढाइन्छ त्यहाँ मरेका दिनहरूको।
 
०००
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'''[[लालसा / हरिभक्त कटुवाल / सुमन पोखरेल|यहाँ क्लिक करके इस कविता का एक हिंदी अनुवाद पढ़ा जा सकता है।]]'''
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