किस मंदिर को जाओगे राही, किस मंदिर पे जाना है?
किस सामान से पूजा करना, साथ कैसे ले जाना है?
मानवों के कंधे चढकरचढ़कर, किस स्वर्ग को पाना है?
अस्थियों के सुन्दर खम्भेसुंदर खंभे, मांसपिंड के दीवारेकी दीवारें,मस्तिष्क का ये यह सुनहरा छत, इंद्रियों के दरवाजे,नस-नदी के की तरल तरंगें खुद एक मंदिर अपार,
किस मंदिर को जाओगे राही, किस मंदिर के दर?
दिल का सुन्दर के सुंदर सिंहासन पे पर है जगदीश्वर का राज,चेतन का की यह ज्योति हिरण्य, उस का सर उसका सिर का ताज ,शरीर का ये सुन्दर मन्दिर विश्वक्षेत्र यह सुंदर मंदिर विश्व क्षेत्र के माँझमांझ।
ईश्वर है अंदर, बाहरी आँखों आंखों से ढूँढते ढूंढते फिरे हो कौन सा पुर?रहता है ईश्वर गहराइयों में, सतहों पे पर बहते हो कितनी दूर?ढूँढते ढूंढते हो? हृदय उबा लो ज्योत को सहलाओ, ज्योति जला के भरपूर।
दोस्त राही, सर-ए-सडकों पे सड़कों पर चलता है ईश्वर साथ-साथ,चुमता है ईश्वर काम सुनहरा कर रहा इंसानी हाथ,छूता है वो वह अपने तिलस्मी हाथों से सेवकों के माथ माथ।
सड़क किनारे गाता है वो वह चिड़ियों के तानों में ,बोलता है ईश्वर इंसानों के दुःख -दर्द के गानों में,दर्शन किन्तु देता नहीं वोवह, चर्म-चक्षु से कानों में ,
किस मंदिर को जाओगे राही, किस नवदेश के वीरानों में?
वापस आओ, जाओ पकडो पकड़ो इंसानों के पाँव पांव को,मरहम लगा लो आर्तों के चहराते चहरे पर चढ़ते हुए घाव को,मानव हो के हँसा लो हंसाओ यह ईश्वर का दिव्य मुहार को मुखार को।...................................................................
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