596 bytes added,
12:47, 2 सितम्बर 2024 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अभि सुवेदी
|अनुवादक=सुमन पोखरेल
|संग्रह=
}}
{{KKCatNepaliRachna}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
रात को
कितने आँसू बह गए,
जान न पाया ।
सुबह,
नदी की सिसकियाँ सुनने के बाद,
बहते हुए मन को बाहर निकालने के लिए
शब्दों के किनारे-किनारे दौड़ता रहा मैं ।
०००
</poem>