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14:44, 2 सितम्बर 2024 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=महेश उपाध्याय
|अनुवादक=
|संग्रह=आदमी परेशाँ है / महेश उपाध्याय
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<poem>
दादी ने कहा
बड़ी भौजाई ने सुना
पहला फल अँचल का पाहुना ।
आँगन का हो या हो घेर, बेल, डाल का
पहला फल देवता सरीखा है ताल का
लाएगा लाड़-प्यार चौगुना ।
पहले फल की जिसने मन से अगवानी की
बरसा दी सौ असीस धूप - हवा - पानी की
उस घर का आँगन है कुनकुना ।
</poem>