गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
पटकथा / पृष्ठ 8 / धूमिल
9 bytes added
,
06:47, 27 सितम्बर 2024
और आज तक –
नींद और नींद के बीच का जंगल काटते हुये
मैंने कई रातें जागकर
गुजार
गुज़ार
दी हैं
हफ्ते
हफ़्ते
पर
हफ्ते
हफ़्ते
तह किये हैं।
ऊब के
निर्मम अकेले और बेहद अनमने क्षण
Sharda suman
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader,
प्रबंधक
35,132
edits
इस पृष्ठ को बेहतर बनाने में मदद करें!
लॉग इन करें
साइन अप करें