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22:46, 9 नवम्बर 2024 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नजवान दरविश
|अनुवादक=मंगलेश डबराल
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
मैं मौत से
अपने दोस्तों को
नहीं ख़रीद सकता ।
मौत ख़रीदती है
लेकिन बेचती नहीं है ।
ज़िन्दगी ने कहा मुझसे :
मौत से कुछ मत ख़रीदो
मौत सिर्फ़ अपने को बेचती है ।
वे अब हमेशा के लिए तुम्हारे हैं, हमेशा के लिए
वे अब तुम्हारे साथ है, हमेशा के लिए
अगर तुम सिर्फ़ यह जान सको
कि ख़ुद से ही
ज़िन्दगी हैं तुम्हारे दोस् ।
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : मंगलेश डबराल'''
</poem>