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मेरा मन होता है कि कहीं चला जाऊँ
किसी की आँखों में झाँकूँ, खो जाऊँ
घर से निकल जाऊँ और वापिस नहीं लौटूँ
और वहीं, वहीं कहीं हमेशा के लिए सो जाऊँ
वसन्तकाल में गाती है कोयलकिसी को सुनाती है कवि की कहानी कुछ है, जो नहीं है इस दुनिया में, इस पलजो मुझसे यह कहता — ज़िन्दा रहो, जानी !
Уйти из дома без возврата
И там — там где-то — умереть.
Кому-то что-то о поэте
Споют весною соловьи.