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13:00, 21 नवम्बर 2024 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सुशांत सुप्रिय
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|संग्रह=
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<poem>
एक बार
एक काँटे के
शरीर में चुभ गया
एक नुकीला आदमी
काँटा दर्द से
कराह उठा
बड़ी मुश्किल से
उसने आदमी को
अपने शरीर से
बाहर निकाल कर फेंका
तब जा कर काँटे ने
राहत की साँस ली
</poem>