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ग़लत युग में / सुशांत सुप्रिय

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<poem>
यदि तुम
सूरज को गाली देकर
धूप से दोस्ती नहीं कर सकते

यदि तुम
चाँद को दाग़दार कह कर
चाँदनी से इश्क़ नहीं कर सकते

यदि तुम फूल को नकार कर
ख़ुशबू को नहीं अपना सकते

तो तुम
ग़लत युग में पैदा हुए हो
</poem>
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