Changes

Current events

4,454 bytes removed, 15:31, 21 दिसम्बर 2006
 
==कैलाश गौतम नहीं रहे==
समारोह में सर्वश्री बुद्धदेव आर्य, गिरधर, डा आर डी शर्मा, भारत भूषण जैन, सुरेंद्र जैन, सज्जन एडवोकेट की विशिष्ट उपस्तिथि नें समारोह को गरिमा प्रदान की।
 
==दिनांक:27/11/2006, मुकम्मल ग़ज़लों के शायर हैं नरेश शांडिल्य- प्रभाकर श्रोत्रिय==
[[चित्र:Main_Sadiyon_ki_Pyas.jpg]]चित्र में - बाएं से दाएंद्ध : लक्ष्मीशंकर वाजपेयी, अमरनाथ अमर, प्रो.सादिक़,बालस्वरूप राही,डा. रामदरश मिश्र,प्रभाकर श्रोत्रिय,नरेश शांडिल्य,अनिल जोशी व अलका सिन्हा चित्र में - बाएं से दाएंद्ध : लक्ष्मीशंकर वाजपेयी, अमरनाथ अमर, प्रो. सादिक़, बालस्वरूप राही, डा. रामदरश मिश्र, प्रभाकर श्रोत्रिय, नरेश शांडिल्य, अनिल जोशी व अलका सिन्हानरेश शांडिल्य के संग्रह में अनेक मुकम्मल ग़ज़लें हैं। रचना का सबसे बड़ा कार्य यही है कि वह जिस शिद्दत से कही गई है, उससे भी अध्कि शिद्दत से पाठकों तक पहुंचे। ये विचार सुप्रसि( साहित्यकार-आलोचक प्रभाकर श्रोत्रिय ने हिन्दी भवन में २६ नवम्बर, २००६ को अन्तरराष्ट्रीय संस्था 'अक्षरम्‌' द्वारा आयोजित नरेश शांडिल्य के ग़ज़ल संग्रह 'मैं सदियों की प्यास' के लोकार्पण के अवसर पर व्यक्त किये। ग़ज़ल संग्रह का लोकार्पण सुप्रसि( ग़ज़लकार बालस्वरूप राही ने किया। प्रभाकर श्रोत्रिय ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की। लोकार्पण के अवसर पर प्रख्यात साहित्यकार डॉ. रामदरश मिश्र ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि नरेश की ग़ज़लों में जीवन के विभिन्न पक्ष उजागर हुए हैं तथा इनमें सादगी के साथ-साथ प्रतिरोध् और व्यंग्य भी है। अन्य वक्ताओं में प्रो. सादिक, डॉ. सीतेश आलोक, लक्ष्मीशंकर वाजपेयी, अम्बर खरबन्दा, अमरनाथ अमर, विज्ञान व्रत, अनिल जोशी और शशिकान्त प्रमुख थे।
यू.के. समिति लन्दन के अध्यक्ष तथा प्रवासी टुडे के सम्पादक डॉ. पद्मेश गुप्त भी इस अवसर पर विशेष रूप से पधरे। इस अवसर पर सुप्रसि( गायिका मधुमिता बोस ने संग्रह की कुछ ग़ज़लों का गायन भी किया। कार्यक्रम का संचालन प्रसि( कवयित्री-कथाकार अल्का सिन्हा ने किया। इस अवसर पर अनेक गणमान्य साहित्यकार व ग़ज़लकार उपस्थित थे। कार्यक्रम के अन्त में अक्षरम्‌ के अध्यक्ष अनिल जोशी ने सभी आगन्तुकों को ध्न्यवाद ज्ञापित किया।
 
अलका सिन्हाद्ध-सचिव : अक्षरम्‌
Anonymous user