Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' }} {{KKCatKavita...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
28/11/2024
हे मेरे मन!
देते जो दुःख
अहर्निश क्लेश
पास न उनका
बचा है कोई जतन।
आँसू न बहाओ अब
गलाओ न तन।

साँझ -सवेरे
बोते रहे अँधेरे
बेमानी सब उनके
मधुर, कटु, वचन।
'''28/11/2024'''
</poem>