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|रचनाकार=दिनेश शर्मा
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<poem>
मुअन जोदडो से प्राप्त
सिंधु घाटी के अवशेष
मिट्टी की गाडी
कांसे के बर्तन
आभूषण और औजार
जैसी हजारों वस्तुएँ
पर
कोई हथियार न मिलना
सिद्ध करता है
शासन की स्वच्छता
तानाशाही का अभाव
सभ्य ,अनुशासित जीवन
एक समृद्ध संस्कृति को
जो आमन्त्रित करती है हमें
छोडकर ऎसी आधुनिकता को
जहाँ है खून-खराबा
हर ओर शोर-शराबा
सब ओर
हर मोड पर
यमराज नज़र आता
आदमियों के अथाह समन्दर में
नहीं इन्सान नज़र आता
चल लौट चलें
उस और चलें
आ लौट चलें ।
</poem>