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कल 18:12 बजे {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=दिनेश शर्मा
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जान हकीकत
मान नसीहत
आस भरोसा
मूल अजीयत
मालिक की है
जगत हकीयत
मानवता है
राह शरीअत
ध्यान रहे तो
हाथ तबीयत
बोल गयी कब
साथ वसीयत
लोभ कराए
सदा फजीहत
इस जग की सब
छोड़ वकीअत
हैं अपने तो
सांस वदीअत
अजीयत - दुःख
हकीयत - मालिकाना हक
वकीअत - निंदा, झगड़ा
वदीअत - अमानत
</poem>