Changes

{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ज़ोजे सरामागो अनिल जनविजय
|अनुवादक=अनिल जनविजय
|संग्रह=
खनखनाने लगते हैं
जैसे बज रहे हों पहली बार ।
 
1966 में प्रकाशित ’सम्भावित कविताएँ’ नामक संग्रह से
'''मूल पुर्तगाली भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
Basta que, de sol. os olhos do poeta,
Rasando, as iluminem.
 
Os poemas possíveis, 1966
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,730
edits