Changes

{{KKCatKavita‎}}
<Poem>
वहाँ रंगून में आया था समझ में समझा कि देवता भी थे बेचारे ग़रीबों के उतने ही बड़े दुश्मन थे जितना ईश्वरबेचारे ग़रीबों का कि ईश्वर । सफ़ेद ह्वेलों की तरह थे पसरे हुए खड़िया के देव गण, गेहूँ की बालियाँ जैसे सुनहरे देवता, जन्म लेने के अपराध में कुंडली मारे नाग देवता, खोखले पारलौकिक जीवन के कॉकटेल में ठहाके लगाते भव्य-नग्न बुद्धजैसे दर्दनाक सूली पर ईसामसीह, सब कुछ के लिए तैयार हैं सभी, अपना स्वर्ग हम पर लादने, सभी घावों या पिस्तौल के साथ भक्ति ख़रीदने या हमारा खून जलाने,मनुष्य के खूंखार देवताअपनी कायरता छिपाने के लिए,
खड़िया के देवता पसरे हुए थेसफेद ह्वेल मछलियोँ की तरहसुनहरे देवता जैसे गेहूंँ की बालियाँनाग देवता कुण्डली मारे थेजन्म लेने के अपराध परभव्य और नग्न ...मुस्कुराते हुएशून्य सनातन की शराब - पार्टियों परजैसे ईसा मसीह सूली परसभी वहाँ सब कुछ के लिए तैयार ।बिल्कुल वैसा ही था,  हम पर अपने - अपने स्वर्ग थोपनेसभी घावों या पिस्तौल दिव्य माल असबाब के साथसमूची पृथ्वी धर्मनिष्ठा ख़रीदने या हमारा ख़ून जलानेआदमी के खूँखार देवताअपनी कायरता छिपाने के लिए और वह सब कुछ था ऐसा हीसारी धरती पर सराबोर थी स्वर्ग जन्नत की ख़ुशबूदिव्यबिकाऊवस्तुओं जैसी।खुशबू में ।
'''मूल स्पानी भाषा से अनुवाद : प्रभाती नौटियाल'''
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,801
edits