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दौड़ जाने दो क्षण भर / इला कुमार
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03:23, 25 नवम्बर 2008
Added फ्राक
मन क्यों अकुलाया
एक बार झूलने को
हुआ
तत्पर
पर इस पल दौड़ जाने दो मुझे बाहें फैलाए
फूली
फ्रोक
फ्राक
के घेरे के संग-संग
बचपन कि कच्ची पक्की गलियों में क्षण भर
Sneha.kumar
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