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तुम्हारे सिर पर फरफर
पताका उड़ते समयउड़ती है जबधरती पर खड़े होहो्कर
क्या सोचते हो तुम
देश के बारे में!
फरफर पताका उड़नापताकाएँ उड़ती हैंचाहे हो कोई नाम, भी उत्सव का
जैसे छब्बीस जनवरी
या पंद्रह पन्द्रह अगस्ततुम जो समझते स्वाधीनता का जो अर्थतुम समझते हो जो अर्थ गणतंत्र गणतन्त्र काहम नहीं समझते, समझ नहीं पाते।पाते ।
इतना मान होता तब तो!झुक कर झुककर साल के पत्ते
चुगते समय
कंधे कन्धे पर बच्चा झुला
पहाड़ चढ़ते समय
कपड़े उतार झरने में
झपटते समय
तुम्हारे हाई पिक्सेल कैमरे में
जो हमारे फोटो फ़ोटो उठा लेते
कौशल से
उसका भाव कितना देश-विदेश में?जानना कोई काम नहीं आता हमारे।हमारे । फोटो झूलती बधाई हो करहोकर
तुम्हारी बैठक में,
होटल में, ऑफिस ऑफ़िस में,
होर्डिंग बन एयरपोर्ट पर
और राजरास्ते राजमार्ग पर।हमारे फोटोफ़ोटो, हम देख नहीं पातेकभी भी।भी ।
जैसे देश हमारा
पता नहीं कहाँ होता है मानचित्र में।में ।
हमारे लिए देश कहने परका अर्थ हैकेवड़ा, तेंदूतेन्दू, साल, महुवाहमारे लिए देश कहने पर्का मतलब हैझरने का पानी, डूमा, डूँगर, हमारे लिए देश ’देश’ कहने परहम समझते हैंपेड़ का कोटर, जड़ी मूली, कुरई के फूल।फूल ।
देश तुम्हारा, पताका बन
आँखें चुँधिया देते समय
हम ढूँढ़ने निकलते स्वयं को
जंगल में।में ।
देश तुम्हारा होता भव्य एम ओ यू बन
फाइल में लटकते समय
जीवन लटका होता हमारा
आप सभ्य समाज के आधिवासी
हम हैं आदिम अधम आदिवासी।आदिवासी ।सच कहेंगे ज्ञान ही नत्थीपत्र में।में । '''मूल ओड़िया भाषासे अनुवाद : शंकरलाल पुरोहित'''
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