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|संग्रह=अशोक अंजुम की हास्य व्यंग्य ग़ज़लें / अशोक अंजुम
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<poem>
क्यों लेने को जान आ गये भरी दुपहरी में
फिर अड़ियल मेहमान आ गये भरी दुपहरी में

हवा बन्द है उस पर टेबुल फैन करे हड़ताल
हाय, हलक में प्रान आ गये भरी दुपहरी में

बिजली ने फिर धोखा देकर कर दी खाट खड़ी
मच्छर सीना तान आ गये भरी दुपहरी में

अभी-अभी तो नींद बड़ी मुश्किल से आयी थी
भिक्षुक लेने दान आ गये भरी दुपहरी में

कौन बजाकर दरवाज़े ़ की साँकल भाग गया
आँखों में तूफान आ गये भरी दुपहरी में

इन पड़ौसियों को मौला कुछ अक्ल क्यों नहीं दी
क्यों खाने को कान आ गये भरी दुपहरी में
</poem>
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