1,218 bytes added,
9 मार्च {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अशोक अंजुम
|अनुवादक=
|संग्रह=अशोक अंजुम की हास्य व्यंग्य ग़ज़लें / अशोक अंजुम
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
कुछ न पूछो यार हमसे हाय क्या फैला गया
साला आया और घर में रायता फैला गया
ऐसे हमदर्दों से मौला दूर रोगी को रखे
जानने जो हाल आया था दवा फैला गया
इस सियासतदां की फितरत पूछिए मत दोस्तो
पहले फेंका जाल उस पर बाजरा फैला गया
लोग उसकी बात में फँसते गए, फँसते गए
जल उठा सारा नगर वो यों हवा फैला गया
लोग कीचड़ में पड़े हैं, मस्त हैं, मदहोश हैं
वह धरम के नाम पर ऐसा नशा फैला गया
</poem>