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18 मार्च {KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नाज़िम हिक़मत
|अनुवादक=मनोज पटेल
|संग्रह=
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{{KKCatKavita}}
<poem>
हम मिला करते थे प्राग के थ्री स्टार्कस रेस्टोरेण्ट में
आज मैं खड़ा हूँ आँखें बन्द किए सड़क के किनारे
और तुम एक मौत भर की दूरी पर
शायद कोई थ्री स्टार्कस रेस्टोरेण्ट नहीं है प्राग में
और बाते बना रहा हूँ मैं
हम मिला करते थे प्राग के थ्री स्टार्कस रेस्टोरेण्ट में
मैं निहारा करता तुम्हारा चेहरा और गाया करता था दिल से
पैगम्बर सोलोमन के सबसे बेहतरीन गीत
हम मिला करते थे प्राग के थ्री स्टार्कस रेस्टोरेण्ट में
आज मैं खड़ा हूँ आँखें बन्द किए सड़क के किनारे
और तुम एक मौत भर की दूरी पर
एक टूटे हुए आईने में उलटी-पुलटी और विरूपित
हम मिला करते थे प्राग के थ्री स्टार्कस रेस्टोरेण्ट में
सोन्या दोन्यालोवा प्यारी दोस्त !
कितनी जल्दी हम भूल जाते हैं मृतकों को
18 अगस्त 1959
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल'''
</poem>
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