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मेरा नपुंसक क्रोध खाता ही जा रहा है मुझे,
और सुबह से ही टीस रहा है मेरा कलेजा...
20 जनवरी 1946
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल'''
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