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तीन सवाल एक साथ / एरिष फ़्रीड
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18:41, 26 नवम्बर 2008
सरल के सिवा कुछ और हो सकती है?
क्या एक
दिनिया
दुनिया
-- जो शायद अपने में ही
टूट-फूटकर पतन के गर्त में जा रही हो--
अनिल जनविजय
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