{{KKRachna
|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
|संग्रह=वो पता ढूँढें हमारा / डी. एम. मिश्र;
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{{KKCatGhazal}}
<poem>
रक्त का संचार है पर्यावरण
साँस की रफ़्तार है पर्यावरण
फूल, फल या छाँव की ख़्वाहिश अगर
तो प्रकृति का प्यार है पर्यावरण
उन परिन्दों के लिए भी सोचिए
उनकी भी दरकार है पर्यावरण
मन खिले, आँगन खिले, उपवन खिले
प्रकृति का श्रृंगार है पर्यावरण फूल, फल या छाँव की ख़्वाहिश तो फिर से अब तैयार समृद्धि का भी द्वार है पर्यावरण
जन्म से लेकर मरण तक साथ दे
जिंदगी ज़िन्दगी का सार है पर्यावरण उन परिन्दों के लिए भी सोचिएउनकी भी दरकार है पर्यावरण
पेड़ रोते हैं कुल्हाड़ा देखकर
किस क़दर लाचार है पर्यावरण
एक पौधा आप भी आकर लगायेंकम से कम गमले में ही पौधे लगा लेंप्रकृति का श्रृंगार क्योंकि ये आधार है पर्यावरण
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