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|रचनाकार=ओसिप मंदेलश्ताम
|अनुवादक=अनिल जनविजय
|संग्रह=तेरे क़दमों का संगीत / ओसिप मंदेलश्ताम
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[[Category:रूसी भाषा]]
<poem>
आज तेरे साथ मैं
 बैठूंगा बैठूँगा रसोई में 
वहाँ श्वेताभ केरोसिन की
 गंध गन्ध भली लगती है 
गोल बड़ी रोटी पर
 
रखी होती है छुरी
 
मन होने पर सिगड़ी में
 
आँच बढ़ा लेते हैं पूरी
 
कभी जब करता है मन
 
वहाँ बैठे हम रात-रात भर
 
टोकरी-थैले बुनते हैं
 
ले सुतली हाथ-हाथ भर
या ऐसा करते हैं आज
वहाँ स्टेशन पर चलते हैं
वहाँ नहीं आएगा कोई हमें ढूँढ़ने
हम भला किसी के क्या लगते हैं ?
या ऎसा करते हैं आज(रचनाकाल :जनवरी 1931)
वहाँ स्टेशन पर चलते हैं'''मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय''''''लीजिए अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए''' Осип Мандельштам Мы с тобой на кухне посидим
वहाँ नहीं आएगा कोई हमें ढूंढ़नेМы с тобой на кухне посидим,Сладко пахнет белый керосин;
हम भला किसी के क्या लगते हैं ?Острый нож да хлеба каравай…Хочешь, примус туго накачай,
А не то веревок собери
Завязать корзину до зари,
(रचनाकाल :जनवरी Чтобы нам уехать на вокзал,Где бы нас никто не отыскал. 1931)г.</poem>
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