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|रचनाकार=चन्द्र गुरुङ
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<poem>
गोदी में
उछलते
खेलते
नाचते
गाते
गया हुआ दरिया
जब बरसात बन कर वापस आता है
मुस्कुराती है धरती फूल की तरह
जिस तरह मैं
दूर देश से घर लौटता हूँ
दमक उठता है
मेरी माँ का चेहरा।
</poem>