704 bytes added,
सोमवार को 14:13 बजे {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रसूल हमज़ातफ़
|अनुवादक=मदनलाल मधु
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
मेरे घर की अगर उपेक्षा, कर तू जाए, राही !
तुझ पर बादल-बिजली टूटें, तुझ पर बादल बिजली !
मेरे घर से अगर दुखी मन, हो तू जाए, राही !
मुझ पर बादल-बिजली टूटें, मुझ पर बादल-बिजली !
'''रूसी भाषा से अनुवाद : मदनलाल मधु'''
</poem>