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सन्ध्या / रैनेर मरिया रिल्के / अनिल जनविजय
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,
8 जुलाई
सूरज गायब हो गया
चौकी के पीछे
और
अचानक बन्द हो गईं
दिन के सप्त सुरों कीप्रभावशाली आवाज़ें
अचानक बन्द हो गईं।
।
छतों के कंगूरों पर
दिन की तन्त्रिकाएँ
रोशनियाँ
झिलामिला
झिलमिला
रही हैं
छतों से लटके
लैम्पों में
अनिल जनविजय
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