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26 जुलाई {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अशोक अंजुम
|अनुवादक=
|संग्रह=अशोक अंजुम की मुक्तछंद कविताएँ / अशोक अंजुम
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
माननीय
आपके आने से
अचानक
कहाँ ग़ायब हो जाता है
शहर का कचरा?
रास्ते नज़र आने लगते हैं
साफ़-सफ़्फ़ाफ़।
</poem>