600 bytes added,
सोमवार को 17:14 बजे {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=चन्द्र त्रिखा
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
भटका-सा मन
आवारापन
गाओ जीवन
छोड़ो क्रंदन
साथ चलो तो
मन वृंदावन
तेरा मिलना
ताक धिना धिन
आओगे तो
बरसेंगे घन
जाओगे तो
रोएगा मन
जीवन-संध्या
एकाकीपन
इसे दुलारो
सहमा बचपन
</poem>