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तो डॉक्टर बोलीं-"डैनिमा लगा दो।"
वो तो ग़नीमत है
किड़ॉक्टर होशियार थानीम हकीम होता तो बेड़ा ही पार थावैसे ही घर में जगह नहींएक पिल्ला उठा लाईपाव भर दूध बढा दियाकुत्ते का दिमाग चढ़ा दियातरीफ़ करती हो पूंछ कीउससे तुलना करती हो हमारी मूंछ कीतंग आकर हमने कटवा दीमर्दो की रही सहीनिशानी भी मिटवा दी वो दिन याद करोजब काढ़्ती थीं घूंघटदो बीते काअब फुग्गी बनाती हो फीते कापहले ढ़ाई गज़ मेंएक बनता थाअब दो ब्लाउज़ो के लिये लगता है एक मीटरआधी पीठ खुली रहती हैमैं देख नहीं सकताऔर दुनिया तकती है मायके जाती होतो आने का नाम नहीं लेतींलेने पहुँच जाओ तो माँ-बाप से किराए के दाम नहीं लेतींकपड़ेबाल-बच्चों के लियेसिलवा कर ले जाती होतो भाई-भतीजों को दे आती होदो साड़ियाँ क्या ले आती होसारे मोहल्ले को दिखाती होसाड़ी होती है पचास कीमगर सौ की बताती होउल्लू बनाती होहम समझ जाते हैंतो हमें आँख दिखाती होहम जो भी जी में आयाबक रहे थेऔर बच्चेखिड़कियो से उलझ रहे थीहमने सोचा-वे भी बर्तन धो रही हैंमुन्ना से पूछा, तो बोला-"सो रही हैं।"हमने पूछा, कब से?तो वो बोला-"आप चिल्ला रहे हैं जब से।"