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निभाई हैं फटे कंबल से रिश्तेदारियाँ हमने / ज्ञान प्रकाश विवेक
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04:48, 7 दिसम्बर 2008
कि जिसके हाथ में देखी हैं अक्सर आरियाँ हमने
सजाया मेमना चाकू तराशा,
ढिल
ढोल
बजवाए,
बलि के वास्ते निपटा लीं सब तैयारियाँ हमने.
</poem>
द्विजेन्द्र द्विज
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