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[[Category:ग़ज़ल]]
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गाँव इतना ज़ियादा बदल जाएगा मैंने सोचा न था
वो शहर से भी आगे निकल जाएगा मैंने सोचा न था
मरकरी बल्ब की रोशनी देखकर तेरे पण्डाल कीमेरे घर का अँधेरा मचल जाएगा मैंने सोचा न था
खोटे सिक्के तो कम रोशनी में दुकानों पे देता रहा
पर फटा नोट भी मेरा चल जाएगा मैंने सोचा न था