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आज नहीं तो कल होगा
हर मुश्किल का हल होगा
 
जंगल गर औझल होगा
नभ भी बिन बादल होगा
 
नभ गर बिन बाद्ल होगा
दोस्त कहां फ़िर जल होगा
 
आज बहुत रोया है दिल
भीग गया काजल होगा
 
आँगन बीच अकेला है
बूढ़ा सा पीपल होगा
 
दर्द भरे हैं अफ़साने
दिल कितना घायल होगा
 
छोड़ सभी जब जाएंगे
‘तेरा ही संबल होगा
पीर सभी की सुनता है
झूठ अगर बोलोगे तुम
उअह यह तो खुद से छल होगा 
रोज कलह होती घर में
रिश्तों मे दल-दल होगा
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