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01:07, 20 दिसम्बर 2008 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=श्याम सखा 'श्याम'
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<Poem>
यूं तो कुछ कमी नहीं
बात लेकिन बनी नहीं
ढूंढते हैं सभी जिसे
वो तो मिलता कभी नही
प्यार धोखा लगा तुम्हें
क्या मुहब्बत हुई नहीं
दोस्त मेरा है वो मगर
छोड़ता दुश्मनी नही
व्यर्थ सब कोशिशें हुईं
याद दिल से गई नहीं
बेचकर ख्वाब सो गई
मेरी किस्मत जगी नहीं
‘श्याम जैसा सिरफ़िरा
कोई भी आदमी नहीं
</poem>