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विषय / मोहन साहिल

6 bytes added, 22:52, 22 दिसम्बर 2008
हीटर सेंकते लिख रहे होंगे आप
भूख के बारे में
जबकि आप बदहजमी बदहज़मी का शिकार हैं
आप कल्पना करतें हैं एक झोंपडी
बजती है प्रेशर-कूकर की सीटी
देहरादून की भीनी खुशबू
आपका ख्याल ख़याल तहस-नहस कर देती है
आप कमरे से बहार बालकनी में आ जाते हैं
अब आप एक नया विषय सोच रहे हैं
शायद यह कि बदहजमी बदहज़मी कैसे दूर हो।
</poem>
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