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1 जनवरी 1937 के दिन राजनांदगाँव (मध्य प्रदेश) में जन्में श्री विनोद कुमार शुक्ल का पहला कविता-संग्रह 'लगभग जयहिन्द' श्री अशोक वाजपेयी द्वारा सम्पादित 'पहचान' सीरीज के अन्तर्गत 1971 में प्रकाशित हुआ था। उनका दूसरा कविता-संग्रह 'वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहिनकर विचार की तरह' सम्भावना प्रकाशन से 1981 में और वहीं से उनका पहला उपन्यास 'नौकर की कमीज़'
1979 में छपा। 1988 में पूर्वग्रह सीरीज में उनकी कहानियों का संग्रह 'पेड़ पर कमरा' प्रकाशित हुआ। उनकी कुछ रचनाओं का मराठी, उर्दू, मलयालम, अंग्रेज़ी और जर्मन भाषाओं में अनुवाद हुआ। उन्हें मध्य प्रदेश शासन की 'गजानन माधव मुक्तिबोध फ़ैलोशिप' 1975-76 में, दूसरे कविता-संग्रह के लिए मध्यप्रदेश कला परिषद का 'वीरसिंह देव पुरस्कार'तथा उड़ीसा की वर्ण्माला वर्णमाला संस्था द्वारा 'सृजनभारती सम्मान', सन 1992 में, 'सब-कुछ होना बचा रहेगा' कविता-संग्रह पर सन 1992 में 'रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार' एवं 'भवानी प्रसाद मिश्र पुरस्कार' फिर 1995 में मध्य प्रदेश शासन का 'शिखर सम्मान' प्राप्त हुआ। 1996 में विनोद कुमार शुक्ल को 'मैथिलीशरण गुप्त राष्ट्रीय सम्मान' देकर सम्मानित किया गया। शुक्ल जी दो वर्ष के लिए (जून 1994 से जून 1996 तक)'निराला सृजन पीठ' में अतिथि साहित्यकार रहे। 'निराला सृजन पीठ' में रहते हुए इन्होंने 'खिलेगा तो देखेंगे' तथा 'दीवार में एक खिड़की रहती थी' नामक दो उपन्यास लिखे। वे इन्दिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफ़ेसर रहे तथा दिसम्बर 1996 में सेवानिवृत्त हुए।
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