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|संग्रह=
}}
हमें अपने घर से टूट जाना चाहिए<br/>
टहनी पर खिले गुलाब की तरह इच्छित होकर<br/>
किसी पके फल की तरह स्वतः<br/>
या चिड़िया के बच्चों की तरह<br/>
हमें अपने घोंसलों से उड़ जाना चाहिए<br/><br/>
जब हमारे माँ बाप यह देखने लगे कि<br/Poem>हमारे बाजुओं हमें अपने घर से टूट जाना चाहिएटहनी पर खिले गुलाब की पेशियाँ फूल आईं हैं<br/>तरह इच्छित होकरऔर हमारी बहनों किसी पके फल की तरह स्वतःया चिड़िया के उभार खाते दूध<br/>बच्चों की तरहतो हमारी बहनों को पड़ोसी हमें अपने घोंसलों से प्यार करना चाहिए<br/>या चले उड़ जाना चाहिए दोपहरी भर किसी आफिस में<br/><br/>
जब हमारे माँ-बाप यह देखने लगे किहमारे बाजुओं की पेशियाँ फूल आईं हैंऔर हमारी बहनों के उभार खाते दूधतो हमारी बहनों को पड़ोसी से प्यार करना चाहिएया चले जाना चाहिए दोपहरी भर किसी आफ़िस में हमारे थके- मांदे बुढ़ाते बाप जिनकी नसें धनुष की प्रत्यंचा -सी टूट गई हैं<br/>‌और मस्तक पर की सफेद बर्फ सफ़ेद बर्फ़ उग आई हो<br/>न सम्हाल सकें अपना वासनातुर मन और पुराने विचारों का जाल न समेंट पाएँ<br/>तो हमें इक्कीस वर्ष होते -होते अपना घर छोड़ देना चाहिए<br/poem>
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